अब वैज्ञानिको ने छोटे से छोटे सुपर कन्डक्टर बनाने में भी सफलता हासिल कर ली है । आओ सबसे पहले जानते है कुछ सुपर कन्डक्टर के बारे में क्या होता है सुपर कन्डक्टर ।
“सुपर कन्डक्टर को अतिचालक पधार्थ भी कह जाता है ये वो पद्राथहोते है जो पदार्थ अत्यन्त कम ताप पर पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। उनके इस गुण को अतिचालकता (superconductivity) कहते हैं। शून्य प्रतिरोधकता के अलावा अतिचालकता की दशा में पदार्थ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य हो जाता है जिसे मेसनर प्रभाव (Meissner effect) के नाम से जाना जाता है”
वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा सुपरकंडक्टर विकसित किया है। इसमें अणुओं के चार जोड़े हैं और यह एक नैनोमीटर (एक मीटर में एक अरब नैनोमीटर होते हैं) से भी छोटा है। ओहियो विश्वविद्यालय (ओयू) में हुए अध्ययन में पता चला है कि इस सूक्ष्म सुपरकंडक्टर का उपयोग बेहद सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और ऊर्जा प्रदान करने वाले यंत्र बनाए जा सकते हैं। इस अध्ययन की अगुवाई करने वाले भौतिकी के प्रोफेसर साव-वाय हला ने कहा कि “शोधकर्ता मानते रहे हैं कि धातु चालकों का प्रयोग करके बहुत सूक्ष्म यंत्र बनाना लगभग असंभव है क्योंकि तार का आकार बहुत छोटा होने के कारण प्रतिरोध बढ़ता है।””साव के अनुसार “बहुत सूक्ष्म तार बहुत जल्द गर्म हो जाते हैं और ये पिघलकर नष्ट हो सकते हैं। यह समस्या सूक्ष्म यंत्र बनाने में सबसे बड़ी बाधा है।” दरअसल सुपरकंडक्टर वाले पदार्थ ज्यादा विद्युत प्रवाहित करने में सक्षम होते हैं और इसमें बिजली की कमी और गर्म होने का भी खतरा नहीं रहता। इस समय इनका उपयोग सुपर कंप्यूटर से लेकर ब्रेन इमेजिंग उपकरणों में हो रहा है।
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