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कहने को तो मै भारत का स्वर्ग हूँ पर पर मै अपनी दासता किसे सुनाऊ मै ६५ सालो
से आगा में जल रहा हूँ हर कोई मुझे ही आग में तप रहा है. चाहे वो राजनीति हो या
फिर आतंकवाद . इस आग के धुएं से मेरे वातावर्ण कि हवा भी इतनी ख़राब होती जा
रही है कि यहाँ के लोग भी चैन से सांस नहीं ले सकते तंग आ गए है वो. वो भी क्या
करे.?
मुझे ये देखकर ख़ुशी होती है कि भारत के लोग मेरे हक़ के लिए लड़ते है पर ये
देखकर दुःख होता है ये यहाँ के राजनितिक दल, चालबाज नेता इस देश कि जनता को
गुमराह करते है कभी धरम के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का लालच देकर. पर उनका
कुछ नहीं बिगड़ता नुक्सान होता तो सिर्फ आम जनता का . कोई मेरे दर्द को नहीं समझता है . एक तरफ से पकिस्तान मुझ पर गोलिया बरसाता है तो दूसरी और चीन भी मुझ पर राजनीति खेल रहा है. अभी कुछ दिनों बाद देखना मेरी ही कमर पर सड़क बनाकर चीन ,पाकिस्तान को वस्तुए निर्यात किया करेगा अब ये वस्तुए कुछ भी हो सकती है वो इस सडक का गलत इस्तमाल भी कर सकता है. अब तो जागो भारत वासी !मुझे बचाओ ! वरना भविष्य में शायद ही कोई याद करेगा की मई भारत का हिस्सा हूँ.|
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