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मेरे विचार से टेलीविजन पर फिल्म स्टार आमिर खान द्वारा प्रस्तुत धारावाहिक सत्यमेव जयते अपने आप में एक वास्तविक संवेदनशीलता को उजागर करता है अगर इसे हम बाजारीकरण की पराकास्ठा क़ा नाम दे तो शायद ये गलत होगा . आज हमारे देश में ऐसी घटनाएं घट रही है जो हमको शर्मसार कर देती है जिनका समाज में होना ना केवल अपराधो को बढावा देता है बल्कि आने वाले समय और आने वाली जेनरेसन के लिए भी बहुत घातक है जैसे कि कन्या भ्रूण , दहेज के कारण बहू बेटियों क़ा ऊत्पीरण , बलात्कार की घटनाएं , अपहरण की घटनाएं, ये सब बहुत ही संवेदन शील विषय है जिनको जड़ से ख़त्म करना बहुत ही जरूरी है जब ये घटनाएं होती रहेंगी तब तक हम एक अच्छे माहोल , एक अच्छे समाज कि कल्पना भी नहीं कर सकते. हमारे देश अक्सर आये दिन ऐसी घटनाएं होती रहती है , जिसके कारण ना जाने कितने ही बेगुनाहों को जान जाती है और अगर सही से देखा जाये तो कही ना कही इन घटनाओं के द्वारा ही हमारे समाज में लोग आत्महत्याए कर रहे है ,ये सब ऐसी कुरुतिया है जी हमारे समाज में डर पैदा करती है और लोगो में नकारात्मक सोच को उत्पन करती है जिससे वो इन घटनाओं के खिलाफ लड़ाई नहीं कर पाते क्यों कि साथ देने वाले बहुत कम है और सुनने वाले भी बहुत कम है इन घटनाओं को रोकने के लिए हमको एक ऐसे माध्यम कि जरूरत है ऐसे लोगो कि जरूरत है जो इसके प्रति लड़े और पीड़ित लोगो
क़ा साथ दे ना कि उनसे बचे ! इनके अलावा भी चोरी , रिश्वत खोरी जैसी घटनाएं भी समाज में विष उत्पन करती है .
अगर आमिर खान जी अपने धारावाहिक सत्यमेव जयते में इन सब घटनाओं के कारण , उनके उपायो को उजागर करते है और साथ ही साथ पीड़ित व्यक्ति कि मदद भी करते है तो ये एक बहुत ही महत्वपूरण कदम है यहाँ मदद के सम्बन्ध में मै ये कहना चाहुगा कि अक्सर हम आम लोग अपनी परेशानी को अपनी समस्या को सरकार तक नहीं पहुचा पाते और पहूचा देते भी है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती और होती भी है तो बहुत ही कम . तो अगर आमिर खान जी के इस धारावाहिक से कुछ ऐसी मदद मिले कि इन घटनाओं क़ा शिकार कोई भी व्यक्ति अपनी बात को सरकार तक पहूचा सके और आमिर जी उसमे साथ दे तो ये बहुत ही ख़ुशी कि बात होगी . असल में समस्या ये है कि जब अकेला व्यक्ति लड़ता है तो कोई नहीं सुनता उसको सहारे कि जरूरत होती है जो शायद ही उसको मिलता हो . ऐसी दशा में ये धारावाहिक अपने आप एक मंच साबित होगा जिस पर लोग एक साथ इन सभी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठायेगे जिससे समाज के लोगो कि सोच पर असर पड़े और सरकार भी कठोर कदम उठा पाए . तो इन घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है . सब से बड़ी जरूरत है समाज सुधार की . लोगो के मन में सही सोच उत्पन्न करने की.अगर आमिर जी ओपने इस धारावाहिक के माध्यम से ये ऐसा करते है तो इसे बाजारीकरण की पराकास्था कहना गलत होगा . हम ये सब भली भाति जानते है की कोई भी व्यक्ति इस समाज में
आलोचनाओं से नहीं बच सकता चाहे वो कितना भी सही काम क्यों ना करे ? कुछ लोग तो गाँधी जी की भी आलोचनाये करते है . अगर हम सही काम कर रहे है जो समाज सुधार में सहायक हो तो हमको किसी की आलोचनाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए बस अपने काम को सही से करते रहना चाहिए .
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