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क्या कभी ऐसा सोचा है : भाग 2

विज्ञान जगत और मेरा समाज
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दोस्तों पोस्ट लिखने से पहले यहाँ आपको ये बता दू कि इस पोस्ट का उदेश्य एक ऐसी सोच को विकसित करना है जो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे , मन में कोई गलत सोच बनाना नहीं। दुसरे इस पोस्ट के विचार आदरणीय श्री संदीप माहेश्वरी जी ( Well Known Motivator) के “आसान है ” नामक सेमीनार से प्रेरित हैं और संदीप जी को ही समर्पित है।

दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपका एक बहुत बड़ा विश्वास टूटने वाला हैं जो आप बचपन से हर जगह सुनते अाये हो।

(1) सबसे पहले एक प्रयोग करके देखते हैं। यही प्रयोग हमारी असल जिंदगी में भी लागू होता है। दोस्तों आपको चित्र में एक खाली डब्बा दिखाई दे रहा हो
अब आप कुछ पत्थर लो या गेंदे लो और इस डब्बे को इन गेंदों और पत्थरो से पूरा भर दो। अब सोचो की क्या इस डब्बे में कुछ और आ सकता है , सोचो , दिमाग लगाओ . तो बहुत जवाब मिलेंगे जैसे हाँ इसमें अभी छोटे छोटे बीज आ सकते हैं. फिर इन बीजो को लो और इस डब्बे में भर दो। अब फिर सोचो की या इसमें कुछ और आ सकता है , सोचो थोड़ा और सोचो तो आपको लगेगा हाँ अभी भी इसमें नमक या बालू आ सकता है तो नमक लो और भर दो। अब आपके डब्बे में पत्थर या गेंदे, बीज और नमक या बालू ये तीन चीज़े आ गयी हैं। अब थोड़ा और दिमाग लगाओ की क्या अभी इसमें और भी कुछ आ सकता है तो आप जवाब पाओगे की अभी इसमें पानी आ सकता है तो इस दाबे को पानी से भर दो। अब आप पाओगे की अब शायद इसमें और कुछ नही आ सकता।

लेकिन अब आप जरा सोचो की अगर आपने इस डिब्बे को सबसे पहले बीज या नमक से भरा होता तो क्या इसमें गेंदे या पत्थर आ सकते थे ? आपको जवाब मिलेगा नही। तो इस प्रयोग का हम कुछ ऐसा समझ सकते हैं की हमारी जिंदगी ये डिब्बा है जिसको अगर हम शुरू में ही छोटी छोटी चीज़ो से भर देंगे तो उसमे बड़ी चीज़े आने के लिए जगह ही नही बचेगी , और अगर आप इसे बड़ी बड़ी चीज़ो से भरोगे तो छोटी छोटी चीज़े आने के लिए जगह बानी रहती है।

(2 ) “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो ,बुरा मत बोलो” का नया तरीका ।

ऊपर वाली लाइन ग़ांधी जी ने कही थी , गांधी जी मैं बहुत इज्जत करता हूँ उन्होने सही कहा था। लेकिन जब हम इस लाइन को जिंदगी में प्रयोग के तौर पर देखे तो हमे इससे भी अच्छी एक नयी लाइन मिलेगी। मान लो की मैं ने या संदीप जी ने आपसे कहा ” पिज़्ज़े के बारे में मत सोचो ” तो जैसे ही आपने ये लाइन सुनी तो आपके दिमाग में क्या आया पिज़्ज़े की तस्वीर आयी , मतलब की जिस चीज़ के बारे में सोचने के लिए हम आपको मना कर रहे हैं वही चीज़ आती है है दिमाग में इसलिए ये बुरा बुरा बार बार हमको परेसान कर रहा है। बुरा ही दिमाग में आ रहा है। इसलिए एक नयी लाइन लो “अच्छा सुनो , अच्छा बोलो, अच्छा देखो” अब आपके दिमाग में अच्छा शब्द मतलब एक पॉजिटिव विचार आया।

क्या कभी ऐसा सोचा है के अगले भाग में फिर हाजिर होगे कुछ अच्छे विचारो को लेकर।

“Be Motivated, Be Inspired”

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